विशेष रिपोर्ट: 23 जून 2025 | दोपहर 2:35 बजे
> “कभी-कभी बम नहीं, चुप्पी भी चीखती है…”
युद्ध नहीं, नासमझी की होड़ है
इज़राइल और ईरान के बीच का तनाव अब सिर्फ सीमा तक सीमित नहीं रहा। यह अब दिलों तक घुस चुका है। जिस जमीन पर कभी बच्चे पतंगें उड़ाया करते थे, आज वहाँ ड्रोन और मिसाइलें गिर रही हैं।
13 जून की रात, जब दुनिया चैन की नींद में थी, इज़राइल ने “ऑपरेशन राइजिंग लायन” के तहत ईरान पर पहला बड़ा हवाई हमला किया। नटनज़ और इस्फहान जैसे संवेदनशील परमाणु इलाकों को निशाना बनाया गया। यह कोई आम हमला नहीं था, यह एक राजनीतिक संदेश था – “हम अब चुप नहीं बैठेंगे।”
ईरान का जवाब: “अब हमारी बारी है”
ईरान भी चुप नहीं बैठा। 16 जून को उसने एक साथ 200 से ज़्यादा मिसाइलें और ड्रोन इज़राइल की ओर दाग दिए। एयर डिफेंस सिस्टम ‘आयरन डोम’ ने कई को रोक लिया, लेकिन कुछ मिसाइलें इज़राइल के रिहायशी इलाकों तक पहुंच गईं।
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भारत के लोग भी डरे
ईरान में फंसे 10,000 से ज़्यादा भारतीय नागरिक अब हर पल भारतीय सरकार की ओर देख रहे हैं। “क्या हम ज़िंदा वापस लौट पाएंगे?” – यह सवाल अब आम हो गया है। विदेश मंत्रालय ने एयर इंडिया की स्पेशल फ्लाइट्स भेजने की तैयारी की है, लेकिन खतरा अभी भी मंडरा रहा है।
अमेरिका का दखल – हालात और बिगड़े
जैसे ही अमेरिका ने भी युद्ध में हिस्सा लिया, मामला और भड़क गया। B-2 बॉम्बर्स और टॉमहॉक मिसाइलों के साथ अमेरिका ने ईरान के कई ठिकानों को तबाह किया। लेकिन इससे समस्या सुलझी नहीं, उल्टा और उलझ गई।
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Photo JanataNews |
ईरान ने साफ कहा:
> "ये सिर्फ शुरुआत है, हम इस जंग को खत्म करेंगे।"
आम लोगों की कहानी, जो कहीं दर्ज नहीं होती
इस युद्ध में जो सबसे ज़्यादा हारा है, वो है – इंसानियत।
तेहरान की एविन जेल पर हमला हुआ, जहां राजनीतिक कैदी थे। कई घायल हुए, कई लापता।
इज़राइल में एक बुज़ुर्ग यहूदी महिला की मौत हुई, जब वो मिसाइल के दौरान अकेले अपने घर में थी। उसके बेटे ने कहा, “माँ को अस्पताल नहीं मिला, क्योंकि एम्बुलेंस खुद भी डर रही थी।”
असर केवल जमीनी नहीं, आर्थिक भी
अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल की कीमतें ₹160 प्रति लीटर तक पहुंच गई हैं।
भारतीय शेयर बाज़ार में भी हलचल मच गई है। निवेशक घबराए हुए हैं, खासकर मिडिल ईस्ट के ट्रेड से जुड़ी कंपनियों के शेयर गिर रहे हैं।
क्या कोई हल है?
संयुक्त राष्ट्र ने शांति की अपील की है। लेकिन दोनों पक्ष अब पीछे हटने को तैयार नहीं। इज़राइल की संसद में प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने कहा,
> “हमारी सुरक्षा हमारी प्राथमिकता है, चाहे कुछ भी हो जाए।”
ईरान के राष्ट्रपति ने अपने भाषण में एलान किया – “अब हम नहीं झुकेंगे।”
एक आम आदमी की ख्वाहिश
इस जंग में कोई भी जीतता नहीं है। हार सिर्फ आम लोग जाते हैं – जो सुबह अख़बार में सिर्फ एक लाइन पढ़ते हैं: "हमले में 19 लोग मारे गए।" लेकिन इन 19 में से हर एक के पीछे एक कहानी होती है, जो कभी नहीं लिखी जाती।
निष्कर्ष:
> “अगर जंग ज़रूरी हो तो कूटनीति किस काम की?
इज़राइल और ईरान के बीच जो हो रहा है, वो दुनिया के लिए चेतावनी है। कहीं न कहीं, हम सब इसके हिस्सेदार हैं – चाहे ख़बरें पढ़कर, वीडियो देखकर या चुप रहकर।
अगर आज हमने आवाज़ नहीं उठाई, तो कल ये जंग हमारे दरवाजे पर भी दस्तक दे सकती है।
आपका क्या मानना है? क्या यह युद्ध रुकना चाहिए या अब देर हो चुकी है?नीचे कमेंट में अपनी राय ज़रूर दें।
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