ट्रांसजेंडर खिलाड़ी की चीख: ‘क्रिकेट सिर्फ मर्दों का नहीं है!’ क्या बदलेगा भारत?

 परिचय

“मैं भी क्रिकेट खेलना चाहती हूं, पर मुझे ‘अनफिट’ बताया गया, सिर्फ इसलिए क्योंकि मैं ट्रांसजेंडर हूं!” — यह दर्द है अनाया बंगर का, एक ट्रांसजेंडर खिलाड़ी जिसने क्रिकेट की दुनिया में अपने हक के लिए आवाज उठाई है। यह मुद्दा अब सोशल मीडिया से निकलकर BCCI और ICC तक पहुंच चुका है।

अनाया बंगर कौन हैं?

ट्रांसजेंडर खिलाड़ी की चीख: ‘क्रिकेट सिर्फ मर्दों का नहीं है!’ क्या बदलेगा भारत?

अनाया महाराष्ट्र की एक ट्रांसजेंडर खिलाड़ी हैं जो पुरुषों के साथ खेल चुकी हैं और अब महिलाओं की टीम में शामिल होने की इच्छुक हैं। पर उन्हें बार-बार नियमों का हवाला देकर रिजेक्ट किया गया।

BCCI और ICC का मौन रवैया

हालांकि ICC ने "जेंडर इन्क्लूजन पॉलिसी" बनाई है, लेकिन BCCI की तरफ से अब तक कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं है। ट्रांसजेंडर खिलाड़ियों के लिए कोई चयन प्रक्रिया नहीं बनाई गई है।

सोशल मीडिया बना आवाज का प्लेटफॉर्म

#LetAnayaPlay और #TransInCricket जैसे हैशटैग वायरल हो रहे हैं। लोग कह रहे हैं – “जब पढ़ाई, नौकरी और सेना में समान अधिकार हैं तो क्रिकेट क्यों नहीं?”

दुनियाभर में क्या हो रहा है?

ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में ट्रांसजेंडर खिलाड़ी टीमों का हिस्सा बन चुकी हैं

इंग्लैंड में नीति पहले से लागू है

भारत अब भी पिछड़ा हुआ है इस मोर्चे पर

ट्रांसजेंडर खिलाड़ी की चीख: ‘क्रिकेट सिर्फ मर्दों का नहीं है!’ क्या बदलेगा भारत?

कानूनी पक्ष

2014 में सुप्रीम कोर्ट ने ट्रांसजेंडर को थर्ड जेंडर के रूप में मान्यता दी थी। 2019 में Transgender Protection Act भी आया। फिर खेलों में क्यों रोक?

भावनात्मक अपील

"मैं सिर्फ क्रिकेट खेलना चाहती हूं। क्या मेरा सपना मेरा जेंडर तय करेगा?" — अनाया का ये सवाल समाज, सिस्टम और हमारे सोच को झकझोरता है।

निष्कर्ष

आज अनाया बंगर की आवाज सिर्फ एक खिलाड़ी की नहीं, हज़ारों ट्रांसजेंडर युवाओं की उम्मीद है। क्या भारत तैयार है खेल के मैदा

न को सबके लिए खोलने के लिए?

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