बैंकिंग सेक्टर इंडिया 2025 में बड़े विलयों पर ध्यान दिया जा रहा है। हाल ही में ICICI और HDFC बैंक के विलय की चर्चा तेज हो गई है, जिसे लेकर बड़े-बड़े दिग्गजों की जुबानी बयानबाज़ी हो रही है। RBI ने HDFC जैसी बड़ी वित्तीय संस्थाओं को ‘सिस्टमेटिक इम्पोर्टेंट’ घोषित किया है, जिससे उनके विलय पर जोर बढ़ा है। दीपक पारेख के अनुसार, आरबीआई ने इन विलय प्रयासों को ‘कोई रियायत नहीं, कोई राहत नहीं, कोई समय नहीं’ देते हुए समर्थन किया। पारेख ने कहा, “यह देश के लिए अच्छा है कि बैंक बड़े हों, देखें चीन के बैंक कितने विशाल हैं; हमें भी उतने बड़े बनना होगा”। इसी पृष्ठभूमि में ICICI HDFC merger news चर्चा में आ गया है।
पिछले दिनों हुई बातचीत में पूर्व HDFC अध्यक्ष दीपक पारेख ने खुलासा किया कि ICICI बैंक की तत्कालीन प्रमुख चंदा कोचर ने कई साल पहले ICICI और HDFC के विलय का प्रस्ताव रखा था। कोचर ने पारेख से कहा था, “ICICI ने HDFC की शुरुआत की है, आप हमारे साथ वापस क्यों नहीं आते?”. परेःख ने इस प्रस्ताव को ‘हमारे नाम और बैंक के लिए उचित नहीं’ बताकर साफ़ मना कर दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि उन्होंने HDFC की ब्रांड पहचान और स्थायित्व को ध्यान में रखते हुए विलय प्रस्ताव को ठुकरा दिया।
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Photo janatanews.in |
दरअसल, HDFC बैंक ने 4 अप्रैल 2022 को HDFC लिमिटेड को करीब $40 अरब के सौदे में अधिग्रहित करने की योजना की घोषणा की थी, जिससे $172 अरब मूल्य की एक विशाल बैंकिंग संस्था बननी थी। यह रिवर्स विलय 1 जुलाई 2023 से लागू हुआ, जिसके बाद 44 साल पुरानी HDFC लिमिटेड संस्थान अपने अलग अस्तित्व को समाप्त कर नया बैंक बन गया। नीति निर्धारकों का मानना है कि RBI की नियामक दबाव का मुख्य मकसद बैंकिंग सेक्टर को और मज़बूत बनाना था।
ICICI Bank ने हालिया वित्तीय आँकड़ों में HDFC Bank से बढ़त बना ली है। अप्रैल 2025 में HDFC बैंक ने ₹15 लाख करोड़ मार्केट कैप पार किया, लेकिन परदे के पीछे ICICI ने कई प्रदर्शन संकेतकों में बढ़त बना ली है। उदाहरण के लिए, वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में ICICI बैंक की नेट प्रॉफिट ग्रोथ 15% रही जबकि HDFC बैंक की सिर्फ 11%। इसी अवधि में ICICI का नेट इंटरेस्ट मार्जिन 4.41% था, जो HDFC के 3.65% से ऊपर रहा। ICICI बैंक के क्रेडिट और जमा दोनों में भी 14% की वृद्धि हुई, जबकि HDFC बैंक की अग्रिम विकास दर उसके जमा की वृद्धि की तुलना में लगभग आधी थी। merger के बाद HDFC बैंक का लोन-टू-डिपॉज़िट अनुपात 100% से ऊपर चढ़ गया, जिसे नियंत्रित करने के लिए इसने क्रेडिट विस्तार धीमा कर दिया है। इसके विपरीत, ICICI बैंक ने अपने LDR को 82.4% पर बनाए रखा है। ये आँकड़े दर्शाते हैं कि ICICI वर्तमान में निजी क्षेत्र के ऋणदाताओं में बढ़त पर है, जबकि HDFC बैंक विलय के बाद की चुनौतियों को पाटने में व्यस्त है।
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इन दो दिग्गज बैंकों के नेतृत्त्व में भी स्पष्ट अंतर है। दीपक पारेख को बैंकिंग जगत में ‘दिग्गज बैंकर’ के रूप में माना जाता है, जिन्होंने दशकों तक HDFC के निर्माण और विकास का मार्गदर्शन किया। दूसरी ओर चंदा कोचर ने ICICI बैंक को आक्रामक विकास और वैश्विक विस्तार की दिशा में अग्रसर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। पारेख की नेतृत्व शैली को पारदर्शिता और दीर्घकालिक योजनाओं के लिए जाना जाता है, जबकि कोचर को विस्तारकारी रणनीतियों और सह-उत्पाद विकास के लिए पहचाना गया। दोनों के बीच यह छवि का अंतर मीडिया में भी चर्चा का विषय बना हुआ है।
इन घटनाक्रमों से स्पष्ट है कि भारतीय बैंकिंग सेक्टर में बड़े बैंक बनने की प्रक्रिया तेज हो रही है। विशेषज्ञ मानते हैं कि भविष्य में बैंकों को और अधिक मजबूत बनाने के लिए अधिग्रहण मार्ग अहम साबित होगा। ऐसे में यह देखना रोचक होगा कि HDFC Bank और ICICI Bank अपनी अगली रणनीति (HDFC ICICI रणनीति) कैसे तय करते हैं। दोनों संस्थाओं के प्रबंधन और नियामक अब सतर्क है कि कहीं इन चर्चाओं का कोई प्रत्यक्ष परिणाम विलय की किसी नई पहल के रूप में सामने तो नहीं आता।
मुख्य बिंदु:
दीपक पारेख ने बताया कि चंदा कोचर ने ICICI-HDFC विलय का प्रस्ताव रखा था, जिसे पारेख ने ‘नाम और पहचान को देखते हुए’ अस्वीकार किया।
HDFC बैंक ने 4 अप्रैल 2022 को HDFC लिमिटेड को $40 अरब में खरीदने की घोषणा की थी, जिससे $172 अरब बैंकिंग संस्था बनने की राह खुली।
HDFC-HDFC बैंक का रिवर्स विलय जुलाई 2023 में लागू हुआ, जिसे RBI के दबाव से प्रेरित बताया गया।
वित्त वर्ष 2025 में ICICI बैंक ने लाभ वृद्धि व NIM सहित कई मैट्रिक में HDFC बैंक को पीछे छोड़ दिया है।
दीपक पारेख का मानना है कि भारत में बैंक अधिग्रहण के जरिये मजबूत होंगे। इन सबके मद्देनजर दोनों बैंकों की अगली रणनीतिपर नज़रें टिकी हैं।
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